अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस अधिकारों के साथ ही कर्त्तव्य बोध भी आवश्यक, पूरक हैं अधिकार और कर्तव्य : विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर
महिलाओं के मानवाधिकार और सशक्तिकरण शासन और समाज की नैतिक जिम्मेदारी : मंत्री भूरिया
महिला सशक्तिकरण राष्ट्र निर्माण का आधार है : डॉ ए.पी. सिंह, सदस्य मानव अधिकार आयोग
विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे के पूरक हैं। अधिकारों के लिए कानून बनाए गये हैं, उन्हें लिखित रूप से परिभाषित किया जा सकता है, किंतु कर्तव्यों का बोध करना और कराना पड़ता है। जब हम अधिकारों के प्रति जागरुकता प्रदर्शित करते हैं तो कर्तव्य पालन का भी ध्यान रखना आवश्यक है। विधानसभा अध्यक्ष तोमर ने यह बात अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर ‘महिला सशक्तिकरण एवं मानवाधिकार’ विषय पर आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कही।
विधानसभा अध्यक्ष तोमर ने कहा कि महिला सशक्तिकरण प्राचीनकाल से ही हमारे संस्कारों में शामिल रहा है। हमारी संस्कृति में महिलाओं का स्थान सर्वोपरि रहा है। प्राचीनकाल से ही हमारी मातृ-शक्ति साहस, युद्ध-कौशल, तपस्या, त्याग और विद्वता से संपन्न रही हैं। उन्होंने कहा कि महिला संरक्षण और सशक्तिकरण के लिये प्रावधानों के साथ ही उनके प्रभावी क्रियान्वयन का ध्यान रखना भी आवश्यक है। हमारे समाज में महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण के भाव सदैव मौजूद रहे हैं। हमें पारंपरिक संस्कृति और मान्यताओं में आई विकृतियों के प्रति सजग रहते हुए उनके निवारण के प्रयास तो करने ही चाहिये साथ ही उसके मूल सृजनात्मक स्वरूप और उपलब्धियों पर गर्व भी करना चाहिये।
विधानसभा अध्यक्ष तोमर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समाज की छोटी-छोटी कमजोरियों के प्रति सजग और संवेदनशील हैं। उनके कुशल नेतृत्व में आज देश की 2.5 लाख से अधिक पंचायतों में 14 लाख महिला प्रतिनिधि निर्वाचित हुई हैं। इसके साथ ही सरपंच से सांसद तक हमारी निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों की संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या अधिक है। देश में 10 करोड़ बहनें 9 लाख स्व-सहायता समूहों के साथ जुड़कर उद्यमिता से समाज सेवा तक महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। कोविड काल में‘आशा’ कार्यकर्ताओं का योगदान इसका अतुलनीय उदाहरण है।
विधानसभा अध्यक्ष तोमर ने मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों से मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिये अभूतपूर्व प्रयास हुए हैं और उनके परिणाम भी अच्छे आये हैं। उन्होंने प्रदेश के अभिभावकों को भी धन्यवाद दिया, जिनके प्रयासों से और संस्कारों से देश की बेटियां पुलिस, सैनिक एवं अर्ध-सैनिक बलों में, उद्यमिता एवं व्यवसाय प्रबंधन, प्रशासन खेल समेत शैक्षणिक आदि सभी क्षेत्रों में देश प्रदेश का परचम लहरा रही हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने उद्बोधन में बात कही तो उसके संबंध में आयोग गंभीरता से विचार करेगा और मानव सशक्तिकरण की दिशा में जो छोटे-छोटे विषयों पर शोध करके तथ्यात्मक प्रतिवेदन शासन को प्रेषित करे तो शासन उसी अनुशंसाओ के अनुरूप अपनी नीतियां बनाने में सक्षम होगा। जिसका सीधा लाभ उन महिलाओं तक पहुंचेगा जो शासन द्वारा संचालित किसी महिला सशक्तिकरण की योजनाओं से वंचित है। इसी को संदर्भित करते हुए माननीय मुख्य अतिथि महोदय ने माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार के दो उदाहरणों को सदन में पेश किया जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर है। ऐसे ही उन्होनें राज्य आयोग से अपेक्षा की, कि ' वह अपने स्तर से ऐसे मुद्दों पर शोध कराए एवं अपनी अनुशंसाएं शासन को प्रेषित करें, जिससे महिला सशक्तिकरण में हम एक कदम और बढ़ सके।
महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि महिलाओं के मानवाधिकार और सशक्तिकरण सरकारों की संवैधानिक और समाज की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के विजन को अमल में ला रहे मुख्यमंत्री डॉ. यादव के मार्गदर्शन में राज्य सरकार महिलाओं की समस्याओं और उनके सशक्तिकरण के प्रति सजग और संवेदनशील हैं। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की पूर्णत: ऑनलाइन पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया लागू की है। हाल ही में 19 हजार से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की पूर्णतः पारदर्शी ऑनलाइन भर्ती कर इसका उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि हमारी केंद्र व राज्य सरकारों महिलाओं के मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति सजग औऱ सक्रिय हैं और हमारे प्रयास एवं योजनायें उसका आधार बने हैं। मंत्री भूरिया ने कहा कि वह आदिवासी समाज से हैं और समाज की महिलाओं की परेशानियां समझती हैं, इसलिए उनके निवारण के प्रति संवेदनशील हैं। उन्होंने परिवारों को भी इसके प्रति सजग रहते हुए बेटियों के साथ ही बेटों को भी बचपन से ही महिलाओं की रक्षा, संरक्षण और सशक्तिकरण के संस्कार देने होंगे।
मानवाधिकार आयोग के सदस्य डॉ. अवधेश प्रताप सिंह ने कहा कि देश में महिला सशक्तिकरण के साथ ही मानवाधिकारों के सुधार की दिशा में केंद्र व राज्य सरकारें सजग हैं और समन्वित प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति सभ्यता के उदय के साथ ही इसके प्रति सजग और संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि महिलाओं का सशक्तिकरण और मानवाधिकार उनके प्रति रियायत नहीं, बल्कि उनका सनातन अधिकार है। डॉ. सिंह ने कहा कि महिला संरक्षण और सशक्तिकरण देश के विकास का आधार है। देश में संगठित और समन्वित प्रयासों के मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में लगातार विकास हो रहा है। उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकारों की महिला सशक्तिकरण संबंधी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकारों के साथ ही मानवाधिकार आयोग भी इसके लिये सतत सक्रिय है।
यूएन वूमेन की स्टेट हैड रे ने पारंपरिक रूप से घर, सार्वजनिक स्थलों के साथ ही आधुनिक डिजिटल स्पेस में भी महिलाओं के संरक्षण और सशक्तिकरण की आवश्यकता जताई और इस बात पर भी जोर दिया कि घर, समाज ने भी मानसिकता परिवर्तन व लिंग समानता के प्रति संवेदनशील बनाने में घर से ही शुरुआत होनी चाहिये।
आयोजन में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिला सशक्तिकरण योजनाओं के प्रेजेंटेशन दिया गया। प्रेजेन्टेशन में लाडली-बहना और लाड़ली-लक्ष्मी योजनाओं के क्रांतिकारी प्रभावों का उल्लेख करते हुए बताया गया कि केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं से प्रदेश के लिंगानुपात में प्रभावशाली सुधार हुआ है।
आयोग के प्रमुख सचिव मुकेश चंद गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। आभार प्रदर्शन आयोग के उप सचिव डी.एस. परमार ने किया। इस अवसर पर‘महिला सशक्तिकरण एवं मानव अधिकार' विषय पर आधारित स्मारिका का विमोचन किया गया। तथा आयोग की ओर से अतिथियों को स्मृति-चिन्ह भी भेंट किये गये।
कार्यक्रम के प्रतिभागी के रूप में विभागों/संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारीगण, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, आयोग के पूर्व पदाधिकारीगण एवं अधिकारीगण, वरिष्ठ प्रशासनिक/पुलिस अधिकारीगण तथा विधि संकाय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थीगण तथा अन्य संबंधित विभागों/संस्थानों के अधिकारीगण और रोटरी क्लब भोपाल, आईएसटीबी संस्था व भोपाल क्लब के पदाधिकारीगण भी शामिल हुये। कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी, भोपाल की तदर्थ उद्घोषिका सुनीता सिंह द्वारा किया गया।
