जानिए रहस्य जिला रायसेन की बेतवा नदी के सामने वाले दो अद्भुत और चमत्कारी मनेश्वर महादेव और प्रफुल्लित तीर्थ स्थानों का

 


प्रफुल्लित तीर्थ जिला रायसेन, ग्राम बिल्लारखो, पंचायत सेहतगंज,  बेतवा नदी के सामने मनेश्वर महादेव और प्रफुल्लित तीर्थ दोनों ही एक अद्भुत चमत्कारी स्थान है| यहां पर पहुंचने वाले सभी रोगों से ग्रसित अपने आप ही स्वस्थ हो जाते हैं|  ऐसी मान्यता मिली है कि यहां पर रहने वाले लोगों द्वारा बताया गया कि यह बहुत ही पुराना स्थान है|  जहां पर मनेश्वर महादेव की स्थापना की गई है|  पहले यह घने जंगल के बीच में स्थित था और यहां पर जंगली जानवर तेंदुआ, रिच, भालू , जंगली सूअर, सांप आदि विचरण करते थे|  कई बार पंडित गुरु जी मनीष शुक्ला यहां रात्रि में साधना करते थे, तो गांव वाले एवं वनरक्षक  नाके द्वारा कई बार देखा गया कि उनके चारों तरफ कभी तेंदुआ, कभी रीच, कभी लकड़बग्घा, जंगली सूअर, मोर, सांप आदि आकर बैठ जाते थे|  ऐसा भी बताया जाता है कि जब शिवलिंग की स्थापना नहीं की थी तो स्वप्न में शिव जी ने प्रकाश स्वरूप दर्शन दिए और मनेश्वर  महादेव की स्थापना करने की बात कही, बहुत ही चमत्कारी तरह से शिवलिंग आया और मनेश्वर महादेव पीठ की स्थापना हुई|  गुरूजी द्वारा गांव-गांव जाकर लोगों को उनकी परेशानियों से मुक्ति दिलाई|  मुक्त होने वाले लोगों के ऊपर की गई तंत्र क्रियाओ  से मुक्ति दिलाई|  जिससे आसपास के कई तांत्रिकों से विरोध भी बढ़ता गया परंतु गुरूजी के दृढ़ संकल्प और  निडरता से उनकी गीदड़ भभकी का सामना करते रहे|  बड़े-बड़े जिन जिन्नात भूत प्रेत प्रफुल्लित तीर्थ की सीमाओं के अंदर आते ही परेशान हो रहे व्यक्ति को छोड़कर भाग जाते हैं और रोने लगते हैं आज तक किसी का भी अहित गुरूजी द्वारा नहीं किया गया और उनको उनके बताए हुए स्थान पर छोड़ दिया गया| कई बार गुरु जी कों वहां रहने वाले रहवासियों ने स्वयं  मनेश्वर महादेव द्वारा अभिषेक करते हुए देखा है| यहाँ बहुत सारे यज्ञ अनुष्ठान निरंतर चलते रहते हे|  आज पूरे भारतवर्ष से लोग यहां पर आते हैं और अपनी समस्या मनेश्वर महादेव के सामने रखते हैं | सभी को उससे बहुत लाभ मिलता है| गुरुजी के सरल  स्वभाव के कारण यहां का वातावरण भी धीरे-धीरे सुधरता चला गया| उनके साथ काम करने वाले मुख्य ओंकार तोमर को जब उन्होंने बताया कि तुम हमारे साथ तीन जन्मो से समाज सेवा और राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हो और वह जगह भी बताई जहां-जहां पिछले तीन जन्मो में रहे और काम किया और जहां-जहां रहे हैं वह जगह और उसे जन्म के नाम जब उनको बताएं तो वह भी पूरी तरह से समाज सेवा के कार्य में संलग्न हो गए और प्रफुल्लित तीर्थ की सारी व्यवस्थाएं आज वही सुचारू रूप से चला रहे हैं यहां पर सोमवार और शनिवार गुरुजी स्वयं दरबार लगते हैं और सभी तरह की समस्याओं के लिए लोगों को मार्गदर्शन देते हैं | सभी तरह के राजनेता, अभिनेता, गरीब, अमीर सभी तबके के लोग यहां पर निरंतर आकर लाभ ले रहे हैं| यहां पर गुरूजी द्वारा वृद्धा आश्रम, गौशाला, यज्ञ चिकित्सा, नेचुरोपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, रेकी आदि माध्यमों से  असाध्य से असाध्य बीमारी कैंसर, लकवा, ऊपरी बाधा, शरीर का कायाकल्प आदि से लोगों को रूबरू कराया जाता है बहुत ही जल्दी संस्कार शालाएं प्रारंभ की जाएगी| जड़ी बूटियां द्वारा लोगों को स्वस्थ किया जाता है| बहुत ही दिव्य वृक्ष, पांच पत्ती वाला कल्पवृक्ष, कैंसर के लिए लक्ष्मी तरु, नशा मुक्ति के लिए दाहिमान जैसे दुर्लभ पौधे यहां पर लगाये गए हैं| लगभग 200 तरह की जड़ी बूटियां, नक्षत्र वाटिका, नवग्रह वाटिका, पंचवटी श्रीराम भगवान जहां वनवास के समय विश्व द्वारा बताई जगह पर रहे थे इस तरह के डाइमेंशन में वह पौधे रोपे गए हैं| सभी कार्य सामाजिक सहयोग से एवं मनेश्वर महादेव की कृपा से किए जाते हैं| किसी भी कार्य का कोई शुल्क नहीं लिया जाता| यहां गुरु जी की कल्पना भारतवर्ष को धन कुबेर बनाने की योजना चल रही है और पूरे भारतवर्ष में निरंतर निशुल्क लक्ष्मी कौड़ी वितरण का कार्य चल रहा है| अभी तक लगभग 5 लाख से ऊपर लक्ष्मी कौड़ियों का वितरण किया जा चुका है| ऐसा भी सुनने में आया है कि गुरु जी के अंदर एक ही समय पर कई जगह उपस्थित होने की शक्ति प्राप्त है कई बार ऐसे प्रमाण देखने को मिले हैं |




यहां पहुंचने का मार्ग रायसेन मुख्य सड़क पर स्थित ग्राम बिल्लारखो, पंचायत सेहतगंज, जिला रायसेन, भोपाल के समीप स्थित है| पंडित डॉक्टर मनीष शुक्ला जन्म एक मध्यम धार्मिक परिवार में हुआ| माता पिता बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण स्वयं भी बचपन से कई धार्मिक अनुष्ठानों में संलग्न रहे| आचार्य श्रीराम शर्मा शांतिकुंज हरिद्वार से गुरु दीक्षा लेकर सामाजिक कार्य करते रहे| आदिवासियों के बीच जाकर उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने के लिए  खेती के तरीके, वन उपज का सही उपयोग एवं वनों को सुरक्षित कर उनके रहन-सहन के तरीकों में बदलाव के लिए निरंतर उनके बीच में रहे और कार्य किया| स्वयं का व्यवसाय किया एवं जो धन उपार्जन किया उससे प्रफुल्लित तीर्थ की स्थापना की| पत्नी माता-पिता और दोनों बहनों के सहयोग से निरंतर आगे बढ़ते रहे बहुत सारी विधाओं में पारंगत होकर रेकी क्रिया, योग, हिप्नोसिस, नेचुरोपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा आदि का अध्ययन किया और अपने कार्य के साथ लोगों के कल्याण हेतु कार्य करते रहे| कभी व्यापारी, कभी साधु, कभी समाज सेवक के रूप में कार्य करते रहे|

🚩 कौड़ी महिमा 🚩

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🚩शास्त्रों के अनुसार कौड़ी के विषय में यह मान्यता है कि लक्ष्मी और कौड़ी दोनों सगी बहने है। कौड़ी धारणकर्ता की माँ के रूप में रक्षा करती है। बुरी नजर व संकटो से बचाने की इसमे अदभुत क्षमता होती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण करते समय छत पर पहले कौड़ी डाली जाती है। फिर दरवाजे की चौखट के साथ भी सबसे पहले कौड़ियाँ ही बाँधी जाती है।


🚩कौड़ी विश्वास का प्रतीक है और इसकी अनेक धार्मिक मान्यताएं भी है।


🚩छोटे बच्चों के कंठुले में कौड़ी बांधी जाती है ताकि उसे नजर ना लगे।

🚩विवाह के समय वर तथा वधु के हाथ में जो कंकण बांधे जाते है, कौड़ी उसमे अवश्य होती है।

भारत के दक्षिण क्षेत्रों में विवाह के समय जो संदूक दिया जाता है उसमे एक कौड़ी अवश्य डाली जाती है। ऐसा विश्वास है कि वधु की माँ के रूप में उसे हमेशा मान-सम्मान तथा संतुष्टि दिलाए।


🚩अनेक क्षेत्रों में लक्ष्मी का श्रृंगार कौड़ियों से किया जाता है। कौड़ीओं का प्रयोग केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी किया जाता है। यूनान की देवी वीनस को प्रसन्न करने के लिए वहां के निवासी उस पर कौड़ी ही अर्पण करते है।


🚩वाहन में कौड़ी रखने से ऐसा माना जाता है कि वाहन के स्वामी को वाहन के माध्यम से धन व समृद्धि प्राप्त होगी तथा वाहन दुर्घटना से भी बचा रहता है।


🚩सड़क पर पड़ी हुई कौड़ी मिलना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी कौड़ी को संभाल कर घर में रखने से बरकत में वृद्धि होती है।


🚩इसे हनुमान जी के सिन्दूर से साफ़ व स्वच्छ करने के बाद प्रयोग में लाना चाहिए।


🚩वाहन को बुरी नजर से बचाने के लिए कौड़ी को वाहन में सफ़ेद या काले धागे में बाँध कर सुविधा अनुसार कही भी लटका दें।


🚩वास्तु दोष के निवारण के लिए इसे दरवाजे पर लटकाया जाता है।


🚩घर में आर्थिक सम्पन्नता के लिए इसे अपने धन स्थान पर रखे अथवा घर की उत्तर दिशा में लटका सकते है।


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उपलब्धियां रrकी मास्टर, ज्योतिष रत्न ,हिप्नोसिस, औराहिला ,प्राकृतिक चिकित्सा ,तंत्र साधक, लाल किताब ,वास्तु ,कुंडली, क्रिस्टल ,लेखक ,ज्योतिष पद्म भूषण ,ज्योतिषाचार्य , माइंड एंड बॉडी रीडिंग, वैलोपैथी,

प्रफुल्लित तीर्थ का उद्देश्य राष्ट्र को विश्व को भारत देश को समृद्ध बनाना है शक्तिशाली बनाना है ऊर्जावान बनाना है भटके हुए युवाओं को सही मार्गदर्शन दिखाना है संस्कार शालाएं गुरुकुल गौशाला को पुनः गांव में स्थापित करना है यज्ञ चिकित्सा एवं ब्राह्मण यूनिवर्स एनर्जी से लोगों को जोड़ना है सनातन धर्म क्या है और इसे किस तरह से हमारे को अपनाना है प्राकृतिक चिकित्सा अपने आप को कम खर्चीला बनाना है प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके जीवन कैसे जिया जा सकता है ऐकाल परिवार से  संयुक्त परिवार कैसे उपयोगी है रिश्तो का क्या महत्व है हमारी कुंडली में रिश्तो के द्वारा कैसे अपने ग्रहों को सुधारा जा सकता है नक्षत्र वाटिका नो गृह वाटिका पंचवटी वाटिका विलुप्त होती हुई जड़ी बूटियां को एवं इस समस्त ब्रह्मांड में हर जीव की आत्मा एक ही है उनका आदर करना और उनके प्रति कृतज्ञ रहना यह हमारी प्रमुखता से काम करेंगे गौ माता को संवर्धन प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में काम हो विचारों में शुद्धता हो


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