रूबरू फाउंडेशन लखनऊ के सौजन्य से कवि सम्मेलन एवं मुशायरा आयोजित

 “रूबरू की शाम - लफ़्ज़ों में महकती मोहब्बत”


राजधानी भोपाल की साहित्यिक फिज़ा उस शाम कुछ अलग थी। लक्ष्मी टॉकीज रोड, सिकंदरी सराय में जब मंच पर एक-एक कर शायर और कवि अपने कलाम सुनाने लगे, तो माहौल तालियों की गूंज और वाह-वाह की सरगम से भर गया।

यह अवसर था रूबरू फाउंडेशन, लखनऊ के सौजन्य से आयोजित भव्य कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का, जिसने शहर की अदबी रूह को एक बार फिर जागृत कर दिया।

अदब, तहज़ीब और मोहब्बत का संगम
अतिथियों का स्वागत और प्रतिभाओं का सम्मान

विधायक ने कहा -

संस्थापक डॉ. इरशाद राही की प्रेरक भूमिका

उनके विज़न ने न केवल देशभर के युवा कवियों को एक मंच दिया है, बल्कि समाज में कला और संस्कृति के प्रति सम्मान की भावना भी जगाई है।

डॉ. इरशाद राही ने कहा -

कहकशां-ए-अदब के बैनर तले शब्दों की महफ़िल
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कवि-शायरों की शानदार प्रस्तुतियाँ

उन्होंने अपनी ग़ज़लों से ऐसा जादू बिखेरा कि पूरा सभागार देर तक तालियों से गूंजता रहा।

उनकी पंक्तियाँ -

मोहब्बत की मिसाल को अशआर बना दिया।”
- पर दर्शकों ने खड़े होकर तालियाँ बजाईं ।

कवियों और शायरों ने बाँधे सबके दिल प्रमुख रूप से जिन कवियों और शायरों ने मंच साझा किया, 

उनमें शामिल थे :-

शारिक खूबानी, सुंदर जायसवाल, देव्यांश मदन तनहाई, संदीप भवाड़ा, राहुल ठाकुर, अखिलेश सीहोर, डॉ. अनीस ख़ान, एडवोकेट जावेद आबिद, आरिफ़ आठिया, अतीक कासगंजवी, रुखसाना ज़ेवा, सैफ़ सिद्दीकी, मोहम्मद मसरूर ख़ान और अकील सिद्दीकी ।

कहीं हास्य की लहर थी, तो कहीं ग़ज़लों की गहराई - हर शब्द ने दिल को छुआ और सोचने पर मजबूर किया।

मीडिया कवरेज – जिम्मेदारी और संवेदना का संगम
पत्रकारों का सम्मान - शब्दों के सिपाही को सलाम

इस अवसर पर पत्रकारों को भी सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख रूप से :-

राम विश्वकर्मा (इंडिया टीवी एमपी तक), शहाब मलिक (मलिक न्यूज़ एक्शन), सलमान खान (दैनिक उर्दू नदीम), सलमान गनी (दैनिक यश भारत), अब्दुल मुख्तार (साराशंस टाइम्स) और हुज़ैफा अंसारी (KKR News) शामिल रहे।


आगा सलमान हैदर का आभार और समापन

उन्होंने कहा :- रूबरू फाउंडेशन - अदब के कारवां की कहानी

संस्था ने देशभर में सैकड़ों साहित्यिक कार्यक्रम, कवि सम्मेलन और मुशायरे आयोजित किए हैं।

इसका उद्देश्य रहा है -

अदब की वह शाम – जो याद रह जाएगी

जहाँ हर शेर ने दिल को छुआ, हर नज़्म ने सोच को जगाया, और हर तालियों ने एहसासों को सलाम किया।

अंतिम पंक्तियाँ – लफ़्ज़ों का कारवां चलता रहेगा
कि ज़ुबाँ जब सच्चे जज़्बात से बोले, तो अदब ज़िंदा रहता है।”

इस कार्यक्रम ने साबित कर दिया कि साहित्य और शायरी सिर्फ़ लफ़्ज़ों का खेल नहीं, बल्कि समाज की आत्मा की अभिव्यक्ति है।


कार्यक्रम की
अध्यक्षता वरिष्ठ शायर जनाब क़ाज़ी मलिक नवेद ने की, जो अपनी नज़्मों और ग़ज़लों से देशभर में पहचाने जाते हैं। उनकी मौजूदगी ने इस महफ़िल को एक नई गरिमा दी।

वहीं, कार्यक्रम का संचालन पत्रकार और साहित्यप्रेमी आसिफ़ ख़ान ने अपने अंदाज़-ए-बयान से इस शाम को जीवंत बना दिया।

रूबरू फाउंडेशन की भोपाल इकाई की ओर से विधायक आतिफ़ अकील का गरमजोशी से स्वागत किया गया।

“ऐसे आयोजनों से समाज में संवाद और संवेदना बढ़ती है। आज के युवाओं को अदब और तहज़ीब से जोड़ना वक़्त की ज़रूरत है।”

कार्यक्रम के दौरान मंच पर नन्हें प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए, जो संस्था की उस भावना को दर्शाता है कि नई पीढ़ी को प्रेरित किए बिना समाज में साहित्य का दीपक नहीं जल सकता।

रूबरू फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. इरशाद राही के अथक प्रयासों की हर किसी ने सराहना की।

“रूबरू फाउंडेशन का उद्देश्य अदब को आम जन तक पहुँचाना है। जब समाज में शायरी गूंजती है, तो दिलों में मोहब्बत पैदा होती है।”

 


कार्यक्रम का आयोजन “कहकशां-ए-अदब” के बैनर तले हुआ, जिसकी सरपरस्ती वरिष्ठ शायर सरवत जैदी ने की।

सरवत जैदी की मौजूदगी ने इस मुशायरे में वह नफ़ासत और नज़ाकत जोड़ी, जिसकी झलक हर शेर में नज़र आई।

इस मुशायरे की सबसे बड़ी ख़ासियत रही इंटरनेशनल शायर आरिफ़ अली आरिफ़ की दमदार प्रस्तुति।

“हमने दिलों के दर्द को लफ़्ज़ों में ढाल दिया,

आरिफ़ अली आरिफ़ ने सभी आमंत्रित कवियों और शायरों का आभार व्यक्त करते हुए कहा,

“ऐसे आयोजनों की ज़रूरत है ताकि साहित्य की रूह ज़िंदा रहे और समाज में इंसानियत की ख़ुशबू बनी रहे।” 

मुशायरे में देश के विभिन्न हिस्सों से आए रचनाकारों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से शाम को ऐतिहासिक बना दिया।

प्रत्येक शायर ने अपनी शैली में समाज के मुद्दों, प्रेम, दोस्ती, एकता और इंसानियत के रंगों को बख़ूबी प्रस्तुत किया।


कार्यक्रम की मीडिया कवरेज की जिम्मेदारी वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक शहाब मलिक और उनकी टीम ने निभाई।

उन्होंने इस आयोजन को “अदब की जीत” बताया।

मलिक न्यूज़ एक्शन की टीम ने इस कार्यक्रम को कवरेज देते हुए कहा -

“जहाँ लफ़्ज़ समाज को जोड़ें, वहाँ कैमरा भी एहसास रिकॉर्ड करता है।”

पत्रकारों की सक्रिय भूमिका ने इस आयोजन की भव्यता को और बढ़ा दिया।

रूबरू फाउंडेशन की परंपरा रही है कि वह समाज के हर उस व्यक्ति का सम्मान करे, जो अपने शब्दों से समाज को दिशा देता है।

यह सम्मान पत्रकारिता के उस मूल सिद्धांत का प्रतीक था कि कलम जब सच के लिए चलती है, तो समाज में बदलाव की बयार लाती है।

कार्यक्रम के अंत में भोपाल इकाई के संयोजक आगा सलमान हैदर (सलमान) ने मंच से सभी अतिथियों, कवियों, पत्रकारों और सहयोगियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।

“रूबरू फाउंडेशन केवल आयोजन नहीं करता, बल्कि रिश्ते बनाता है। यह मंच हर उस व्यक्ति के लिए खुला है जो समाज में शब्दों के ज़रिए रोशनी फैलाना चाहता है।”

2018 में लखनऊ से शुरू हुआ रूबरू फाउंडेशन आज एक राष्ट्रीय पहचान बन चुका है।

  • नई प्रतिभाओं को मंच देना

  • साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देना

  • समाज में एकता, मोहब्बत और जागरूकता फैलाना

रूबरू फाउंडेशन के प्रयासों से अनेक युवा कवि और शायर आज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं।

संस्था यह साबित कर रही है कि जब अदब और इंसानियत साथ चलते हैं, तो समाज और भी खूबसूरत बनता है।

18 अक्टूबर की यह शाम भोपाल की यादों में हमेशा ताज़ा रहेगी।

यह सिर्फ़ एक मुशायरा नहीं था - यह मोहब्बत, एकता और इंसानियत का जश्न था। 

“रूबरू से रूबरू होकर आज फिर यक़ीन हुआ,

रूबरू फाउंडेशन ने यह साबित किया कि जब कलम चलती है तो समाज सजता है, जब शायरी गूंजती है तो दिल जुड़ते हैं।

इस शाम ने यह संदेश दिया -

अदब सिर्फ़ सुनने की चीज़ नहीं, बल्कि जीने का तरीका है।

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