“रूबरू की शाम - लफ़्ज़ों में महकती मोहब्बत”
इस कार्यक्रम ने साबित कर दिया कि साहित्य और शायरी सिर्फ़ लफ़्ज़ों का खेल नहीं, बल्कि समाज की आत्मा की अभिव्यक्ति है।
वहीं, कार्यक्रम का संचालन पत्रकार और साहित्यप्रेमी आसिफ़ ख़ान ने अपने अंदाज़-ए-बयान से इस शाम को जीवंत बना दिया।
रूबरू फाउंडेशन की भोपाल इकाई की ओर से विधायक आतिफ़ अकील का गरमजोशी से स्वागत किया गया।
“ऐसे आयोजनों से समाज में संवाद और संवेदना बढ़ती है। आज के युवाओं को अदब और तहज़ीब से जोड़ना वक़्त की ज़रूरत है।”
कार्यक्रम के दौरान मंच पर नन्हें प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए, जो संस्था की उस भावना को दर्शाता है कि नई पीढ़ी को प्रेरित किए बिना समाज में साहित्य का दीपक नहीं जल सकता।
रूबरू फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. इरशाद राही के अथक प्रयासों की हर किसी ने सराहना की।
“रूबरू फाउंडेशन का उद्देश्य अदब को आम जन तक पहुँचाना है। जब समाज में शायरी गूंजती है, तो दिलों में मोहब्बत पैदा होती है।”
कार्यक्रम का आयोजन “कहकशां-ए-अदब” के बैनर तले हुआ, जिसकी सरपरस्ती वरिष्ठ शायर सरवत जैदी ने की।
सरवत जैदी की मौजूदगी ने इस मुशायरे में वह नफ़ासत और नज़ाकत जोड़ी, जिसकी झलक हर शेर में नज़र आई।
इस मुशायरे की सबसे बड़ी ख़ासियत रही इंटरनेशनल शायर आरिफ़ अली आरिफ़ की दमदार प्रस्तुति।
“हमने दिलों के दर्द को लफ़्ज़ों में ढाल दिया,
आरिफ़ अली आरिफ़ ने सभी आमंत्रित कवियों और शायरों का आभार व्यक्त करते हुए कहा,
“ऐसे आयोजनों की ज़रूरत है ताकि साहित्य की रूह ज़िंदा रहे और समाज में इंसानियत की ख़ुशबू बनी रहे।”
मुशायरे में देश के विभिन्न हिस्सों से आए रचनाकारों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से शाम को ऐतिहासिक बना दिया।
प्रत्येक शायर ने अपनी शैली में समाज के मुद्दों, प्रेम, दोस्ती, एकता और इंसानियत के रंगों को बख़ूबी प्रस्तुत किया।
उन्होंने इस आयोजन को “अदब की जीत” बताया।
मलिक न्यूज़ एक्शन की टीम ने इस कार्यक्रम को कवरेज देते हुए कहा -
“जहाँ लफ़्ज़ समाज को जोड़ें, वहाँ कैमरा भी एहसास रिकॉर्ड करता है।”
पत्रकारों की सक्रिय भूमिका ने इस आयोजन की भव्यता को और बढ़ा दिया।
रूबरू फाउंडेशन की परंपरा रही है कि वह समाज के हर उस व्यक्ति का सम्मान करे, जो अपने शब्दों से समाज को दिशा देता है।
यह सम्मान पत्रकारिता के उस मूल सिद्धांत का प्रतीक था कि कलम जब सच के लिए चलती है, तो समाज में बदलाव की बयार लाती है।
कार्यक्रम के अंत में भोपाल इकाई के संयोजक आगा सलमान हैदर (सलमान) ने मंच से सभी अतिथियों, कवियों, पत्रकारों और सहयोगियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
“रूबरू फाउंडेशन केवल आयोजन नहीं करता, बल्कि रिश्ते बनाता है। यह मंच हर उस व्यक्ति के लिए खुला है जो समाज में शब्दों के ज़रिए रोशनी फैलाना चाहता है।”
2018 में लखनऊ से शुरू हुआ रूबरू फाउंडेशन आज एक राष्ट्रीय पहचान बन चुका है।
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नई प्रतिभाओं को मंच देना
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साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देना
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समाज में एकता, मोहब्बत और जागरूकता फैलाना
रूबरू फाउंडेशन के प्रयासों से अनेक युवा कवि और शायर आज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं।
संस्था यह साबित कर रही है कि जब अदब और इंसानियत साथ चलते हैं, तो समाज और भी खूबसूरत बनता है।
18 अक्टूबर की यह शाम भोपाल की यादों में हमेशा ताज़ा रहेगी।
यह सिर्फ़ एक मुशायरा नहीं था - यह मोहब्बत, एकता और इंसानियत का जश्न था।
“रूबरू से रूबरू होकर आज फिर यक़ीन हुआ,
रूबरू फाउंडेशन ने यह साबित किया कि जब कलम चलती है तो समाज सजता है, जब शायरी गूंजती है तो दिल जुड़ते हैं।
इस शाम ने यह संदेश दिया -
अदब सिर्फ़ सुनने की चीज़ नहीं, बल्कि जीने का तरीका है।






