66 स्वास्थ्य संस्थाओं में हुए एक्सटेंड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान शिविर
एक्सटेंडेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत मंगलवार को शिविरों में 800 से अधिक गर्भवती महिलाओं की जांच कर हाईरिस्क प्रेगनेंसी को चिह्नित किया गया। मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रत्येक माह की 9 और 25 तारीख को यह विशेष शिविर शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में आयोजित किए जाते हैं। इन शिविरों में बड़ी संख्या में महिलाएं जांच एवं उपचार के लिए आती है।
गर्भवती महिलाओं को मैदानी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा हाईरिस्क के मानकों के अनुसार चिन्हित किया जाता है। ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता गर्भावस्था के दौरान महिला की जांच एवं देखभाल में सहयोग करते हैं । साथ ही प्रसव के पश्चात मां और नवजात की देखभाल भी करते हैं।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का हितग्राहियों के साथ जुड़ाव और हितग्राहियों का उनके प्रति विश्वास का उदाहरण एक बार फिर उस समय देखने को मिला, जब गर्भवती महिला, आशा कार्यकर्ता के साथ होने पर ही जांच करवाने को जाने के लिए तैयार हुई।
दीक्षा नगर बागमुगलिया निवासी - गर्भवती महिला को 25 मार्च को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गुलाबी नगर में आयोजित विस्तारित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में जांच करवाने हेतु मैदानी स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा चिन्हित किया गया था। महिला का वजन कम होने और पूर्व में गर्भपात होने के कारण उसे हाईरिस्क श्रेणी में शामिल किया गया था। वार्ड क्रमांक 55 की आशा कार्यकर्ता सुमन वर्मा ने महिला को जांच करवाने के लिए मोबिलाइज किया था, किंतु महिला अन्य किसी के साथ जाकर जांच करवाने के लिए तैयार नहीं हुई। महिला को प्रसव पंजीयन के समय से ही आशा कार्यकर्ता द्वारा देखभाल एवं सलाह दी जा रही है। नियमित संपर्क और देखभाल के कारण महिला को ये भरोसा पैदा हुआ कि आशा कार्यकर्ता के साथ होने पर उसे और उसके बच्चे को कोई भी समस्या नहीं होगी। महिला के इस विश्वास को देखते हुए आशा कार्यकर्ता ने उसे अपने ही वाहन से लाकर उसकी जांच करवाई।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि विस्तारित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में सभी गर्भवती महिलाओं की एक जांच तथा हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं का चिन्हांकन कर उनकी तीन अतिरिक्त प्रसव पूर्व जांच करवाई जा रही है। प्रसव पश्चात 45 दिन तक आशा कार्यकर्ता द्वारा गृह भेंटकर फॉलोअप भी किया जाता है। जिससे कि प्रसव के बाद महिला एवं शिशु को बेहतर देखभाल देकर मातृ एवं नवजात मृत्यु दर को कम किया जा सके।
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