प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की गया यात्रा: एक आध्यात्मिक अनुभव और सनातन संस्कृति की पुनर्पुष्टि
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपनी हालिया बिहार यात्रा के दौरान मोक्ष की नगरी गया जी में स्थित पावन विष्णुपद मंदिर में जाकर भगवान श्रीहरि विष्णु के दर्शन किए और विधिवत पूजन-अर्चन कर प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि तथा कल्याण की मंगलकामना की। उनका यह यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा भर नहीं थी, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधना और सनातन परंपराओं की पुनः स्मृति का अवसर भी थी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गया जी की यह पुण्यभूमि न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह सनातन संस्कृति की अमर परंपराओं का प्रत्यक्ष प्रतीक भी है।
मुख्यमंत्री ने जब पवित्र विष्णुपद मंदिर में प्रवेश किया, तो उन्होंने कहा कि यह स्थल केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि एक जीवंत इतिहास है जो हजारों वर्षों से सनातन संस्कृति की जड़ों को सींच रहा है। मंदिर की दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया और वहाँ की शांतिपूर्ण वातावरण में उन्हें आत्मिक शांति की अनुभूति हुई।
गया जी का विष्णुपद मंदिर हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु के चरणों की छाप के लिए प्रसिद्ध है, जो एक विशाल शिला पर अंकित है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने स्वयं यहाँ पापों के विनाश हेतु पग धरा था और तभी से यह स्थल मोक्ष प्राप्ति का स्थान बन गया। पितृपक्ष के दौरान देश-विदेश से श्रद्धालु यहाँ पिंडदान हेतु आते हैं, जिससे उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल पर पहुँचकर केवल व्यक्तिगत श्रद्धा अर्पित नहीं की, बल्कि संपूर्ण मध्यप्रदेश की जनता के कल्याण की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि यह स्थल व्यक्ति को जीवन की क्षणभंगुरता और आत्मा की अमरता का बोध कराता है। इस प्रकार के स्थल हमारे जीवन में धर्म, संयम, सेवा और श्रद्धा के मूल्यों को जाग्रत करते हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि गया जी जैसी पवित्र स्थली केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि ये हमारे संस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर हैं। विष्णुपद मंदिर जैसी संरचनाएं इस बात की साक्षी हैं कि भारतवर्ष ने सदियों से धर्म और संस्कृति की जो परंपरा चलाई है, वह आज भी उतनी ही प्रासंगिक और जीवंत है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ऐसे स्थलों की यात्राएँ केवल बाह्य रूप से यात्रा नहीं होतीं, बल्कि यह एक आंतरिक यात्रा होती है – स्वयं से मिलने की, अपने अस्तित्व को समझने की, और आत्मा की आवाज़ को सुनने की।
मुख्यमंत्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि विष्णुपद मंदिर के दर्शन के समय उन्हें एक ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव हुआ जो शब्दों में वर्णन करना कठिन है। यह अनुभव केवल किसी देवालय के दर्शन का नहीं था, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और चेतना के जागरण का क्षण था।
उन्होंने यह भी कहा कि वे जब-जब ऐसे धार्मिक स्थलों पर जाते हैं, उन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों का और भी गहरा बोध होता है। जनता की सेवा, प्रदेश का समग्र विकास, और सनातन मूल्यों की रक्षा – यही उनका धर्म है और यही उनका संकल्प भी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की इस यात्रा का एक स्पष्ट संदेश यह भी था कि राजनीति केवल शासन का माध्यम नहीं, बल्कि जनसेवा, संस्कृति के संरक्षण और आध्यात्मिक मूल्यों की स्थापना का दायित्व भी है। उन्होंने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि एक जनप्रतिनिधि को न केवल विकास योजनाओं और नीतियों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए, बल्कि उसे अपने लोगों की आस्था, विश्वास और सांस्कृतिक मूल्यों को भी समझना और सम्मान देना चाहिए।
इस प्रकार की यात्राएँ जनमानस को यह भी संकेत देती हैं कि हमारे नेता केवल प्रशासक नहीं हैं, बल्कि वे हमारी परंपराओं के वाहक भी हैं। यह जनता को भी अपने संस्कृति और धार्मिक स्थलों से जुड़ने, उनका सम्मान करने और आत्मचिंतन करने के लिए प्रेरित करता है।
डॉ. यादव ने भगवान विष्णु से यह प्रार्थना की कि प्रदेश में शांति, समृद्धि और सौहार्द बना रहे। हर व्यक्ति को अपने जीवन में आगे बढ़ने के अवसर मिलें, हर परिवार खुशहाल हो, और हर क्षेत्र में विकास की नई रोशनी फैले। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं के उज्ज्वल भविष्य, किसानों की समृद्धि, महिलाओं की सुरक्षा और समाज में सद्भाव के लिए प्रार्थना की।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की गया यात्रा यह दर्शाती है कि जब नेतृत्वकर्ता आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा होता है, तो उसका निर्णय और दृष्टिकोण केवल तात्कालिक लाभ तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह दूरगामी, संतुलित और लोककल्याणकारी होता है।
विष्णुपद मंदिर में उनकी उपस्थिति केवल एक दर्शन नहीं, बल्कि यह एक संदेश था – कि हमारी आस्था, परंपरा, और संस्कृति ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति हैं। यह शक्ति ही हमें जोड़ती है, सशक्त करती है, और हमें मानवता की सेवा हेतु प्रेरित करती है।
