पानी आया, खेती बढ़ी और बदला चेतन धुर्वे का जीवन
महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएं ने हितग्राही को बनाया आत्मनिर्भर
यह कहानी है विकासखण्ड सहसपुर लोहारा के ग्राम पंचायत कुरूवा की जहां खेतीहर कृषको की संख्या अधिक है। उन कृषकों में एक कृषक है चेतन धुर्वे जिन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से सिंचाई कूप (डगवेल) निर्माण की स्वीकृति मिली। हितग्राही चेतन धुर्वे अपने खेतों में सिंचाई के लिए बरसात के पानी पर निर्भर रहते थे। लेकिन अब सिंचाई कूप निर्माण हो जाने से किसी भी मौसम में अपने खेतो में आसानी से सिंचाई कर सकते है। सिंचाई हेतु पानी नहीं होने से चेतन धुर्वे बारहमासी फसल लेने में असमर्थ थे। उनके पास केवल 1.5 एकड़ जमीन थी, जिसमें भी बहुत सीमित खेती ही हो पाती थी। सिंचाई के अभाव में कई बार फसले नष्ट हो गयी जिससे हितग्राही को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा था।
हितग्राही चेतन धुर्वे अपने कूप के बारे में बताते है कि पहले सिर्फ बरसात में ही खेती कर पाता था लेकिन अब सालभर फसल उत्पादन कर पा रहा हूं। खेती का रकबा बढ़ गया है और इससे मेरी आय में वृद्धि हुआ है जिससे परिवार के भरण पोषण में सहायता मिली है। पहले सिंचाई के अभाव में कोई उत्पादन नहीं हो पाता था। अब मेरे अपने 1.5 एकड़ में धान और तिलहन की फसल से लगभग 60 हजार का मुनाफा कमाया हूं। रेगहा में रकबा बढ़ने से मेरी आमदनी लाखो में हो जाएगी। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की वजह से मेरे जैसे किसानों को नई रहा मिली है। मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है और भविष्य के लिए नई उम्मीदे जगी है और मेरा पूरा परिवार खुशहाल है।



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