खुशबू एजुकेशनल एंड क्लचरल सोसाइटी द्वारा “वाहिद प्रेमी अवार्ड” से अज़ीम असर सम्मानित हुए

 खुशबू एजुकेशनल एंड क्लचरल सोसाइटी के द्वारा



युवा रचनाकारों पर आधारित “चमकते सितारे 3 दिनांक 5 अप्रैल 2025, शनिवार को 4 बजे दुष्यन्त कुमार संग्रहालय, नूतन कॉलेज के पास शिवाजी नगर भोपाल में खुशबू एजुकेशनल एंड क्लचरल सोसाइटी के द्वारा आयोजित किया गया! इस आयोजन में युवा रचनाकारों के अतिरिक्त वरिष्ठ रचनाकारों को भी आमंत्रित किया गया था, कार्यक्रम की अध्यक्षता इक़बाल मसूद करेंगे और महमूद मलिक डॉ महमूद नज़र, आबिद काज़मी शोएब अली खां शाद, नफीसा सुल्ताना अना को मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित रहे उस्ताद शायर वाहिद प्रेमी की याद में हर वर्ष दिया जाने वाला “वाहिद प्रेमी अवार्ड“ से भोपाल के शायर अज़ीम असर को प्रशस्ति पत्र, शाल से सम्मानित किया गया कार्यक्रम का संचालन भोपाल की शायरा सुश्री गोसिया खान सबीन ने किया!

सम्मान और मुशायरा कार्यक्रम में शायर और शायरात को आमंत्रित किया गया था उनके नाम इस प्रकार हैं अज़ीम असर, सलीम सरमद, अभिलाषा अनुभूति, रूपाली सक्सेना ग़ज़ल, असद हाशमी, फेकू भोपाली, अयाज़ असलम, अनवर मो शान, अनुराग भरत, मो इंसाफ खान, इमरान खान, समीना क़मर, डॉ निदा रिज़वी, निहारिका सिंह, शिखा विश्वकर्मा, अंशिका, आदिल इमाद, मुबाशिर सिद्दीकी। मुशायरे में पढ़ी गई रचनाओं को बहुत पसंद किया गया जो इस प्रकार हैं :-

नया तो हाथ कुछ भी न आया/अना भी खानदानी हो गई है .........इक़बाल मसूद
तुम निकल सकते हो अपने मुंह पे ताला डाल के

हम रहे ख़ामोश तो गुलशन नहीं बच पाएगा ......आबिद काज़मी
यह जो शिगाफ़ मिरी रूह में है मुद्दत से

वो शोर बनके ही नोके-क़लम से निकले हैं ..........नफ़ीसा सुलताना ”अना“

ग़ज़ल के गाल पर नुक़ता रखूँगा/मैं इस तिल पर परिचर्चा रखूँगा ......साजिद प्रेमी
सूरज नया निकलेगा, रोशन मिरा घर होगा

इस रात का भी इक, दिन अंजाम सहर होगा .......शोएब अली ख़न ”शाद“
अब न पूछो के मिरा इश्क़ कहाँ तक पहूँचा

दिल की हर बात अब शाईरी में कहता हूँ ...........अज़ीम असर
आँखों में हया रख के भी बैबाक बहुत थे

तेरे गुनहगार मगर पाक बहुत थे .....ग़ौसिया खान ”सबीन“

किसी दरवेश से मुझे मिलकर/देखनी है कमाल की दुनिया ...... सलीम सरमद
जब किसी याद के घाव रिसने लगें

सोचकर बस उसे आँख नम कीजिये ..... अभिलाषा श्रीवास्तव अनुभूति
शमशीर उठाने पे ही क्यूँ रोक लगे अब

लहजा भी तो हो सकता है शमशीर के जैसा ...............रूपाली सकसेना ”ग़ज़ल“

ज़र का लालच न आए दिलों में कभी/झुक न जाए कहीं और सर देखना ......असद हाशमी
किसी का हाल किसी पर अयाँ नहीं होता

ये चेहरा दिल का अगर तर्जुमाँ नहीं होता ...डॉ. मो. अयाज़ ”असलम”
बाटा के स्लीपर ने बहुत ज़ख्म दिये हैं

टाटा का नमक उन पे लगाने के लिये आ ...फैकू भोपाली
तुम उनसे पूछो मेरी अहमियत ऐ घर वालो

के जिन का सर पे मेरे कुछ उधार बाक़ी है ......अनवर मो. शान

मौत की एक ही माँग है जिन्दगी/ज़िन्दगी तू बता तुझको क्या चाहिये .....समीना क़मर
कैसे मानू पसे दीवार नहीं है कोई

जब में रोता हूँ तो हँसने की सदा आती है ....इन्साफ़ सिरोंजी
मंज़िल मिली तो नया हुआ बैज़ार ही रहे

हमसे वहाँ पहुंच के भी ठहरा नहीं गया ...इमरान खान

धुध चढ़ी थी आँखों पर/लेकिन ख्वाब सुनहरे थे .....शिखा विश्वकर्मा

चाँद में दाग़ की तरह है हम/हमको महफिल की आबरू कहिए .....अनुराग भरत
तुम यक़ीन जानो आसान होती हर मुशिकल

खुदकुशी अगरचे हम पर हराम ना होती .....आदिल इमाद

बना ली है अलग इक अपनी दुनिया/सो सबके बीच हूँ सबसे जुदा हूँ .....निहारिका सिंह

इतना आसान नहीं मुझे पढ़ लेना/लफाज़ों की नहीं जज़्बों की किताब हूँ मैं..डॉ. निदा रिज़वी
तू नहीं मिला मैं उदास बस इसी वास्ते तो हुआ नहीं

मैं हूँ ग़मज़दा तू न रख सका मुझे अपने पास संभाल के .....एस.एम. मुबश्शिर

अंत में सोसाइटी सदस्य शोएब अली खां ने सभी शायरों, श्रोताओं, प्रेस, मीडिया, आ आभार व्यक्त किया!


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