राजधानी भोपाल में वाहिद प्रेमी की याद में “शाम ए ग़ज़ल का सफल आयोजन“

 इक क़लमगार हूं मैं, एक फनकार हूं मैं


भोपाल के वरिष्ठ ग़ज़ल सिंगर एवं सूफी गायक राजीव सिंह ने भोपाल के मशहूर शायर वाहिद प्रेमी साहब की नज़्म ”इक क़लमगार हूं मैं, एक फनकार हूं मैं“ गाकर सुनाई तो सभागार तालियों से गूंज गया। इसके अतिरिक्त फरहत शहज़ाद की लिखी हुई गज़ल जिसे मेंहदी हसन ने पूर्व में गाया था ”एक बस तू ही नहीं“ श्रोताओं को सुनाई। पॉलिटेक्निक कॉलेज के सभागार में आयोजित भोपाल के मशहूर उस्ताद शायर स्वर्गी वाहिद प्रेमी की याद में खुशबू एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसायटी और श्रीगणेश सांस्कृतिक एवं वेलफेयर सोसाइटी भोपाल द्वारा आयोजित शाम ए ग़ज़ल, जीवन बीमा निगम, मध्य क्षेत्र भोपाल और श्रमश्री सेवा समिति भोपाल द्वारा प्रायोजित इस आयोजन में मशहूर ग़ज़ल सिंगर और म्यूजिक कंपोजर राजीव सिंह, सलीम अल्लाहवाले, भारती विश्वनाथन को आमंत्रित किया गया था

इस अवसर पर छतरपुर मध्य प्रदेश की युवा गायिका कुमारी अंशिका राजोतिया को “सुर साधना सम्मान“ दिया गया तथा ”मैं हवा हूँ कहां वतन मेरा", उस्ताद मोहम्मद हुसैन अहमद हुसैन एवं छाप तिलक सभी छीनी की प्रस्तुति दी! कार्यक्रम में राजीव वर्मा मशहूर फिल्मी अदाकारएवं नाटककार, डॉ नुसरत मेहदी निदेशक उर्दू अकादमीएवं मशहूर शायरा, अय्यूब ग़फ़ूर,वरिष्ठ ग़ज़ल गायक रामबाबू शर्मा, अध्यक्ष श्रमश्री सेवा समिति एवं कार्यक्रम आयोजक, रक़्शां शमीम ज़ैदी, अध्यक्ष बेगम ऑफ भोपाल, मुख्य अतिथि थीं, कार्यक्रम का संचालन मशहूर शायरा गोसिया खान सबीन ने किया  


इस अवसर पर शाहनवाज हुसैन तबला, शाहिद मासूम, कीबोर्ड, इक़बाल खान ऑक्टोपैड और रईस शाह वायलिन संगतकार होंगे,साउंड, मंसूर खान और वीडियोग्राफी शुजात हुसैन संगतकार थे। इसके अतिरिक्त वाहिद प्रेमी की ग़ज़ल शाम-ए-ग़म अश्क जब बिखरते हैं - भारती विश्वनाथन ने सुनाई इसके अतिरिक्त नियते शोक भर ना जाये कहीं, हर सू दिखाई देती है वो जलवागर मुझे, ना वो बात कर मेरे हमनवा, इक ना इक शम्मा अंधेरे में जलाये रखिये, हैरतों के सिलसिले साज़े निहा तक आ गये - भारती विश्वनाथन ने उपरोक्त ग़ज़लों की प्रस्तुति दी। इसीके साथ राजीव सिंह ने - हमारी सांसो में, मैं ख्याल हूं किसी और का, किसी दर्दमंद के काम आ, मेरी अर्थी उठाके चलेंगे - की प्रस्तुति दी। सलीम अल्लावाले ने अपनी संगीतबद्ध की हुई ग़ज़लों की प्रस्तुति दी। अंशिका रजौतिया ने “फासले ऐसे नहीं होंगे यह कभी सोचा ना था”, मेहफिल मैं बार बार किसी पर नज़र गई- की प्रस्तुति दी। 

अंत में संस्था अध्यक्ष साजिद प्रेमी ने श्रोता, संगीत प्रेमी, मुख्य अतिथि, प्रेस से आये छायाकार, पत्रकार बंधु और सभी कलाकारों का आभार व्यक्त किया। 


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