आधुनिक भारतीय कला में सृजनात्मकता का द्वंद है : अशोक भौमिक

 


सृजन साधना कला प्रदर्शनी के दूसरे दिन भोपाल के वरिष्ठ कला गुरुओं की पेंटिंग दर्शकों से रूबरू है और हम भोपाल के दृश्य कला की समृद्ध इतिहास से परिचित होते हो रहे हैं। आज इस अवसर पर कला चर्चा  में वक्ता के रूप में अशोक भौमिक, प्रयाग शुक्ल, डॉ सुषमा श्रीवास्तव, विनय उपाध्याय और डॉ चित्रा सिंह उपस्थित रहीं ।




डॉ सुषमा श्रीवास्तव, वरिष्ठ चित्रकार भोपाल ने कहा कि हमारे गुरुजन जिनका काम आज यहां प्रदर्शित हैं बहुत सहज तरीके से सीखते थे और समूह में हम सब बातचीत करते थे। इससे बहुत सारी जानकारी हमे सहज प्राप्त हो जाती थी। उनका आज हमारे सफलता में बहुत योगदान है।

विनय उपाध्याय ने कहा कि मैने बहुत सारे कला गुरुओं का सानिध्य प्राप्त किया है और यह समझ बनती है कि उनके प्रयास का ही फल है कि हमने कलाओं पर समझ हासिल की है ।




देवीलाल पाटीदार ने कहा कि लोग कला शिक्षक को कलाकार नहीं मान रहे हैं। और एक वर्ग है जो उनकी उपेक्षा हो रही है।

प्रयाग शुक्ल ने कहा कि भारत में दृश्य कलाओं को बढ़ाने में हमारे कला गुरुओं का बहुत योगदान रहा है, सभी कला अच्छी होती है। और दृश्य कला एक स्वतंत्र कला है जिसका आस्वादन दुनिया के सभी लोग स्वतंत्र रूप से ले सकते हैं। कला में जादू है और उसे उदार तरीके से देखा जाना चाहिए ।


अशोक भौमिक ने कहा कि आधुनिक कला का कोई घराना नहीं है। हम अपनी परंपरा का दावा करते हैं पर हमारी परंपरा चाहे सिंधु सभ्यता हो या अजंता हो हजारों साल तक अंधेरे में थी। हमारी परंपरा में कलाकारों को खुद बनाने की आजादी नहीं थी। अगर किसी राजा ने चित्र बनाए थे तो उसमें कलाकार को आजादी नहीं थी। जैसा राजा ने कहा वैसा बनाया। तो वह कला नहीं है क्योंकि कला का महत्वपूर्ण तत्व आजादी है। राजा रवि वर्मा ने हमारे मिथकों को मूर्त रूप में प्रस्तुत किया। पर वे हमारा सच नहीं है।  भारतीय आधुनिक कला में आजादी की कमी है। हम कला की ब्रांडिंग बना कर सामने ला रहे हैं। और हम उसपर सवाल नहीं करते। कलाकार को चित्र बनाने की जितनी आजादी है उतनी ही आजादी दर्शक को उसे देखने और आलोचना करने की है। 

डॉ. सुषमा श्रीवास्तव ने भोपाल के सभी कला शिक्षकों के आयोजन पर स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्विद्यालय, विश्वरंग की सराहना की।

डॉ. चित्रा सिंह ने अपनी कविता का पाठ किया जिसमें प्रकृति के रंग चित्रित हुए।

संचालन टैगोर स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स  के विभागाध्यक्ष डॉ अर्जुन कुमार सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डा टीना तिवारी ने किया।

आयोजक : टैगोर स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स, स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, भोपाल, विश्वरंग फाउंडेशन और रबींद्रनाथ टैगोर विश्विद्यालय भोपाल

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